अजमेर- राज्य में 4 हजार से अधिक औषद्यालयों व अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं/ जड़ी-बूटियों ;घटक द्रव्योंद्ध की जांच अजमेर स्थित रसायन शाला में की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने पुष्कर रोड स्थित राजकीय आयुर्वेद औषधि परीक्षण प्रयोगशाला को नोडल एजेन्सी नियुक्त किया है। वर्तमान में यहां राज्य भर के औषद्यालयों को आपूर्ति की जाने वाली जड़ी-बूटियों ;घटक द्रव्योंद्ध की जांच का कार्य चल रहा है। पिछले दो माह में 85 सैम्पल यहां जांच के लिए भेजे गए थे जिन में से 33 की जांच हो चुकी है। सभी नमूनों की रिपोर्ट साकारात्मक आयी है। रसायनशाला में एपीआई यानि आयुर्वेदिक फार्माकॉपिया ऑफ इण्डिया के निममों के तहत दवाओं की जांच की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि यहां एक साथ तीन सैम्पल जांच के लिए लगाए जाते हैं। इनकी जांच में पांच से सात दिन का समय लगता है। एक दवा की जांच 10 से अधिक बार अत्याधुनिक ऑटोमैटिक मशीनों से फार्मासिस्टों द्वारा की जाती है। सरकारी लैब होने से यहीं से गुणवत्ता गारन्टी का प्रमाण-पत्र जारी होता है। यहां जांची गयी दवाए एपीआई मानकों के समकक्ष मानी जाती हैं। हालांकि राजस्थान में कुल छह रसायनशालाएं संचालित हो रही हैं। इनमें अजमेर के अलावा भरतपुर, जोधपुर, उदयपुर तथा बांरा के कैलावाड़ में रसायनशालाएं संचालित हो रही हैं परन्तु जो आधुनिक मशीने अजमेर की रसायनशाला में स्थापित की गयी हैं वैसी अन्यत्र नहीं है। इसीलिए इसे प्रदेश की नोडल एजेन्सी बनाया गया है। अब तक आयुर्वेद विभाग दवाओं की जांच निजी एजेन्सी के माध्यम से करवाता था, इसके लिए लाखों रूपए चुकाने पड़ते थे। जांच निजी फर्म से होने के कारण गुणवत्ता की गारन्टी नहीं रहती थी। रसायानशाला में दवाओं की जांच की जिम्मेदारी नवीन उपाध्याय, दिनेश शर्मा व जितेन्द्र गौड़ को दी गयी है। जांच कार्य में संलग्न स्टाफ का कहना है कि यह प्रदेश की नोडल एजेन्सी है। परन्तु यहां कैमिस्ट, माइक्रो बॉयोलॉजिस्ट व लैब ब्वॉय के पद खाली पड़े हैं यदि इन पदों पर इनकी नियुक्ति कर दी जाए तो कार्य शीघ्र होने लगेगा। ज्ञात रहे कि आयुर्वेद विभाग में औषधि नियंत्रण अधिकारियों के रिक्त पदों को देखते हुए राज्य सरकार ने जिले के सहायक निदेशकों को आयुर्वेद औषधि निरीक्षक का प्रभार दिया है। अब यही दवाओं के सैम्पल लेकर उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भिजवाएंगे।

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