पटना- बिहार की राजधानी पटना में नकली दवाओं का खेल-जोरों पर चल रहा है। केवल एक ऑर्डर पर माफिया नकली दवाओं की सप्लाई करने को तैयार हो जाते हैं। ऐसी दवाएं मार्केट में हैं जिन्हें उसी प्रकार बनाया जाता है जैसे असली दवा हो। ब्रांडेड कम्पनी के लेबल में पैक कर असली बना कर बेचा जाता है। पूरा खेल दवा माफिया खेलते हैं जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतान पड़ता है। गोविन्द मित्रा रोड में ऐसे रैकेट सक्रिय हैं जो औषधि तथा पुलिस विभाग की नाक के नीचे इस काले खेल को अंजाम देते हैं। प्रमुख समाचार-पत्र के मीडियाकर्मी ने जब नकली दवाओं को लेकर पड़ताल की तो कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आयी। दरअसल नकली दवा के काले कारोबार से जुड़े माफिया केवल पुराने ग्राहकों पर ही भरोसा करते है। नए लोगों से वह सीधे बात-चीत करने को तैयार नहीं होते। मीडियाकर्मियों की टीम जब गोविन्द मित्रा रोड पहुंची तो वहां एक दलाल मिला। उसने गैस, नींद, दर्द निरोधक, बाम जैसी दवाओं का डी-कलैक्शन यानि डुप्लीकेट देने की बात कही। फिर पल भर में नकली दवा के सैम्पल लेकर सामने खड़ा हो गया। मोटा ऑर्डर दीजिएगा तो ज्यादा मुनाफा होगा, माल भी तभी मिलेगा जब ऑर्डर ज्यादा का होगा। ब्रांडेड कम्पनी के रैपर में पैक रहेगा किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। बाम, गैस की दवाएं, शूगर फ्री वाली दवाएं तथा पेन किलर दवाएं भी दे देंगें यह सब उस दलाल के साथ बातचीत में सामने आया। दवा माफिया का यह खेल औषधि नियंत्रण विभाग तथा पुलिस की नाकामी साबित करता है। हाल ही में एक दवा की पेटी लावारिस हालत में जी.एम. रोड़ में फैंकी मिली थी जिस मामले की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है। पुलिस ने औषधि नियंत्रण विभाग को पत्र भी लिखा परन्तु कोई जबाब नहीं मिला। जाहिर है पुलिस व औषधि नियंत्रण विभाग में सामंजस्य का अभाव है। एसपी सिटी सैन्ट्रल विनय तिवारी का कहना है कि अगर पुलिस को नकली दवा के धन्धे में संलिप्त गिरोह की जानकारी मिलती है तो तुरन्त कार्यवाही की जाएगी।

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