शिमला- हिमाचल प्रदेश में जिन दवा कम्पनियों के सैम्पल बार-बार फेल हो रहे हैं उनका लाईसेंस रद्द किया जाएगा। इस वर्ष अब तक 90 दवाआें के सैम्पल गुणवत्ता जांच में फेल निकले हैं। लगातार सैम्पल फेल होने के मामले को सरकार ने गम्भीरता से लिया है। सरकार ने उन कम्पनियों का रिकार्ड तलब किया है जिनकी दवाओं के सैम्पल बार-बार फेल हो रहे हैं। दूसरे राज्यों में स्थित दवा कम्पनियों के सैम्पल फेल होने के मामले सामने आते रहे हैं। सरकार द्वारा ऐसी दवाओं के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। प्रदेश में निर्मित दवाओं के साथ-साथ दूसरे राज्यों की दवा निर्माता कम्पनियों के सैम्पल के आंकड़े एकत्र करने के लिए सूची तैयार की जा रही है। राज्य में इस वर्ष 90 दवाओं के सैम्पल फेल हुए हैं। इससे स्पष्ट है कि जिन दवाओं के सैम्पल फेल हुए हैं वह मानकों के अनुसार खरी नहीं है। ऐसी दवाओं के सेवन से न केवल मरीजों का आर्थिक नुकसान होता है बल्कि इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। दवाओं के सैम्पल जांच में फेल होने से देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी राज्य में निर्मित होने वाली दवाओं के प्रति गलत संदेश जा रहा है। इसे देखते हुए सरकार ने कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। सरकार के निर्णय के अनुसार बार-बार सैम्पल फेल होने वाली दवाओं से सम्बन्धित कम्पनियों का उत्पादन भी बंद किया जा सकता है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार का कहना है कि सरकार घटिया दवा बनाने वाली कम्पनियों को लोगों की जान से खेलने की अनुमति नहीं देगी। जिन दवा कम्पनियों के सैम्पल फेल हुए हैं उनका रिकार्ड तलब किया है। गुणवत्ता से समझौते करने वाली ऐसी दवा निर्माता कम्पनियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन दवाओं का उत्पादन बंद किया जाएगा। इसके साथ ऐसी कम्पनियों के लाईसेंस को भी रद्द किया जाएगा।

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