बदायूं- हालांकि विभिन्न राज्यों में सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को निःशुल्क उपलब्ध करवायी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। अक्सर अधिकारियों द्वारा दावे किए जाते रहे हैं कि मरीजों के लिए अस्पतालों को सप्लाई की जाने वाली दवाओं की पहले गुणवत्ता जांच करवायी जाती है उसके बाद अस्पतालों को दवाओं की सप्लाई दी जाती है। उत्तर प्रदेश के बदायू जिले में मलेरिया की चपेट में आए सैंकड़ों मरीजों को वह इंजेक्शन लगा दिया गया जिसका नमूना गुणवत्ता जांच में फेल निकला। दरअसल संक्रामण बीमारियों के मौसम में मलेरिया वाइवैक्स और फैल्सीपेरम मलेरिया ने पूरे जिले में अपनी चपेट में ले लिया। आनन-फानन में मरीजों को इंजेक्शन लगा दिया गया। इसी बीच पिछले दिनों रिपोर्ट मिली कि इंजेक्शन की गुणवत्ता काफी खराब है। इसलिए इनके उपयोग पर पाबन्दी लगायी जाती है। जिला अस्पताल के अधिकारियों द्वारा उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है कि छह सौ में से स साढे पांच सौ इन्जेक्शनों का प्रयोग किया जा चुका है और शेष केवल 50 इंजेक्शन स्टॉक में है। प्रभारी सीएमओ डॉ. मंजीत सिंह का कहना है कि इंजेक्शन परीक्षण में फेल साबित हुए हैं। शासन स्तर से इस पर पाबन्दी लगायी गयी है, इसलिए इनका उपयोग बन्द कर दिया गया है। यह अकेले बदायूं जिले की सूचना है, राज्य के अन्य जिलों में भी इस इंजेक्शन की आपूर्ति की गयी होगी, वहां भी इनका उपयोग कर लिया गया होगा।

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