मुम्बई- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पाया है कि प्रत्येक वर्ष 70 लाख से अधिक लोगों की मौत जलने के कारणों से हो जाती है जो कि सामुदायिक बीमारियों जैसे मलेरिया तथा ट्यूबर कुलोसिस यानि टी.बी. से होने वाली मौतों से भी अधिक है। इसलिए केन्द्र सरकार ने निर्णय लिया है कि सम्पूर्ण देश के सभी जिला मुख्यालय के अस्पतालों में स्पेशल बर्न वार्ड स्थापित करने के लिए नैशनल हैल्थ मिशन स्कीम के तहत राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवायी जाए। इसी कार्यक्रम के तहत तेलंगाना राज्य सरकार के निर्णय लिया है कि इसके लिए एक प्रस्ताव बना कर केन्द्र सरकार को भेजा जाए ताकि राज्य सरकार को वित्तीय सहायता मिल सके। केन्द्र सरकार ने हाल ही में गुन्टूर गर्वन्मैन्ट जनरल हॉस्पीटल में एक बर्न तथा कॉस्मेटिक वार्ड स्थापित करने के लिए आन्ध्र प्रदेश सरकार को 6.57 करोड़ रूपए जारी किए हैं। इसी तर्ज पर तेलंगाना राज्य सरकार चाहती है कि केन्द्र सरकार की वित्तीय सहायता से राज्य के प्रत्येक जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में एक-एक बर्न वार्ड बनाया जाए। वर्तमान में हैदराबाद में उस्मानिया तथा गांधी जनरल हॉस्पीटल के अलावा समूचे तेलंगाना में पूर्ण-सुसज्जित स्पेशलाइज्ड वार्ड उपलब्ध नहीं है। इन वार्डों में भी प्रशिक्षित तथा दक्ष अनुभवी स्टॉफ की कमी है। इन वार्डों में केवल एक दो प्लास्टिक सर्जन हैं जबकि अधिकांश मामलों में बर्न केसेज का उपचार सामान्य सर्जन करते हैं। बर्न-वार्ड स्थापित करने में स्वास्थ विभाग चाहता है कि एक स्पेशल ऑपरेशन थियेटर, प्रत्येक वार्ड में 4 बैड आईसीयू में तथा 8 बैड जनरल वार्ड में स्थापित किए जाएं। इनके साथ-साथ एक स्पेशल स्किन स्टोरेज यूनिट भी स्थापित की जाए। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार तेलंगाना राज्य में प्रत्येक वर्ष एक अनुमान के अनुसार 70 हजार से अधिक लोग जलने की घटनाओं से पीड़ित होते हैं। प्रतिदिन प्रमुख सरकारी अस्पतालों जैसे उस्मानिया तथा गाधीं में विभिन्न जिलों से 15-20 मामले बर्न से सम्बंधित आते है। इन में प्रायः 5 से 8 लोग मौत का शिकार बन जाते हैं जबकि शेष लोग या तो पूरी तरह ठीक हो जाते हैं या द्वियांग हो जाते हैं।

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