गुना- मध्य प्रदेश के गुना जिले में जिला अस्पताल के रक्त बैंक के लाईसेंस की वैधता अवधि 31 दिसम्बर 2007 से समाप्त हो गयी है। इस रक्त बैंक में पायी गयी कमियों के कारण इसके लाईसेंस का नवीनीकरण अभी तक नहीं हो पाया है। अन्य कमियों के साथ-साथ इसमें एक मुख्य कमी यह थी कि इसमें कोई रक्त बैंक अधिकारी ही नहीं था। लगभग 12 वर्षों की लम्बी अवधि के बाद आला अधिकारियों ने इसकी कमियों को दूर करने के क्रम में एनआरएचएम के माध्यम से स्थायी रक्त बैंक अधिकारी के रूप में डॉ. नरेश वर्मा को स्थायी रूप से जिला अस्पताल में पदस्थ कर दिया परन्तु जिले के सीएमएचओ द्वारा 24 सितम्बर को इनका ट्रांसफर आरोन के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कर दिया गया। जब यह मामला विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. पल्लवी जैन गोबिल के सामने पहुंचा तो वह नाराज हुई। अब स्वास्थ्य आयुक्त प्रतीक हेजला ने इस सम्बन्ध में जिलाधीश को पत्र भेज कर कहा है कि डॉ. नरेश वर्मा के ट्रांसफर आदेश को निरस्त किया जाए और इनसे जिला अस्पताल के रक्त बैंक में ही काम लें। दरअसल दिसम्बर माह में स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. पल्लवी जैन गोबिल द्वारा समीक्षा के लिए प्रदेश के सभी रक्त बैंक अधिकारियों को भोपाल बुलाया गया था लेकिन इस समीक्षा बैठक में गुना के रक्त बैंक अधिकारी डॉ. नरेश वर्मा नहीं पहुंच। प्रमुख सचिव द्वारा डॉ. वर्मा के न आने का कारण पता किया तो सीएमएचओ गुना डॉ. पी. बुनकर ने इनके आरोन में पदस्थ होने की जानकारी दी। इस पर प्रमुख सचिव ने अपनी नाराजगी जाहिर की। सीएमएचओ द्वारा बताया गया कि रक्त बैंक अधिकारी का ट्रांसफर जिलाधीश भास्कर लाक्षाकार के अनुमोदन के बाद किया गया है। इसके बाद स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा जिलाधीश को पत्र लिख कर यह आदेश निरस्त करने के लिए कहा है। पत्र में लिखा गया है कि ब्लड बैंक एक अति आवश्यक सुविधा है। इसके सुचारू संचालन के लिए शासन स्तर पर विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत गुना जिला चिकित्सालय ब्लड बैंक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत पूर्णकालिक ब्लड बैंक अधिकारी के रूप में डॉ. नरेश वर्मा की पदस्थापना की गयी है।

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