श्रीगंगानगर- राजस्थान के इस जिले में आपूर्ति की जा रही लगभग 80 प्रतिशत नशीली गोलियां दिल्ली में बनायी जाती हैं। एनडीपीएस एक्ट में प्रतिबंधित घटक की एक ही बैच की श्री गंगानगर जिले में लगभग दो लाख टेबलेट इस साल पकड़ी जा चुकी हैं। कम्पनी द्वारा निर्मित दवा का यह बैच गुजरात के रास्ते से राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में सप्लाई हुआ है। हाल ही में जवाहर नगर पुलिस द्वारा नशीली दवा के मामले में गिरफ्तार किए गए जोधपुर के एक दवा व्यवसायी बनाम तस्कर से पूछ-ताछ में कई खुलासे हुए हैं। पुलिस ने इतनी जानकारियां और साक्ष्य जुटा लिए हैं कि अब नशीली दवा का निर्माण करने वाली कम्पनी पर ताला लगवाने की तैयारियां की जा रही हैं। पूछ-ताछ में जोधपुर के मनीष परिहार पुत्र बाबू लाल घाची ने बताया है कि लाखों की संख्या में नशीली गोलियां श्रीगंगानगर व राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में सप्लाई की गयी है। आरोपी द्वारा फर्जी बिल काट कर जिन-जिन लोगों को नशीली दवा की सप्लाई की गयी है उनके सम्बन्ध में काफी विवरण जुटाया जा चुका है। मामले में कई होलसेलर व रिटेलर पुलिस राडार पर हैं, इनका पता लगाया जा रहा है ताकि आसानी से पकड़े जा सके। जवाहरनगर थानाधिकारी प्रशान्त कौशिक ने बताया कि आरोपी मनीष परिहार पहले जोधपुर में दवाओं का होलसेल का काम करता था। वह स्वयं फार्मासिस्ट भी है। आरोपी ने पहले जोधपुर से नशीली दवाओं की सप्लाई का काम शुरू किया फिर यहां से पुलिस को चकमा देकर गुजरात चला गया। उसने अहमदाबाद में यूनिक डिस्ट्रीब्यूटर्स के नाम से लाईसेंस लिया और यही काम करने लगा। आरोपी ने दिल्ली में नरेला औद्यौगिक क्षेत्र में स्थित न्यूटेक हैल्थ केयर प्रा. लि. नामक कम्पनी से प्रतिबंधित एनडीपीएस घटक तत्व की दवा का एक पूरा बैच खरीद लिया। इसी बैच को वह अपने पुराने सम्बन्धों के आधार पर राजस्थान भर में सप्लाई करता आ रहा था। आरोपी द्वारा आपूर्ति की गयी नशीली गोलियों में से 25 हजार गोलियां सदर थाना पुलिस ने 7 अक्टूबर को बरामद करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। बरामद दवाओं के बैंच नं. व निर्माता कम्पनी का पता चल गया था। जवाहरनगर थाना के एसएचओ कौशिक द्वारा दिल्ली जाकर न्यूटेक हैल्थकेयर कम्पनी से दवा से सम्बंधित बैच की आपूर्ति का विवरण मांगा। कम्पनी ने लिखित सूचना में बताया कि उक्त बैच गुजरात की फर्म यूनिक डिस्ट्रीब्यूटर्स को सप्लाई किया गया है। इसके बाद पुलिस अहमदाबाद यूनिक डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास गयी। पुलिस को देख कर आरोपी घबराया नहीं और उक्त पूरे बैच को जिन-जिन फर्मों को सप्लाई किया गया उनके काटे गए बिलों वाली पुस्तक सौंप दी। पुलिस ने काटे गए बिलों में दर्शायी फर्मों का भौतिक सत्यापन किया तो उस नाम और पते की एक भी फर्म नहीं मिली। आरोपी फर्जी नामों से बिल काट लेखा-जोखा सही कर लेता परन्तु नशीली दवाओं की खेप तस्करों को बिक्री करता था।

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