नयी दिल्ली – केन्द्र की मोदी सरकार ने कैंसर और दिल की बीमारियों के लिए उपयोग में लायी जाने वाली दवाएं आम नागरिकों को सस्ती व आसानी से मिले इसके लिए आवश्यक दवाओं की नयी सूची तैयार करने की योजना बनायी थी। इस मामले पर बनी समिति की पहली बैठक भी हो चुकी है। मोदी सरकार चाहती है कि कैंसर व दिल की बीमारियों से सम्बंधित महंगी दवाओं को वाजिब कीमत पर मरीजों को उपलब्ध कराया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी दवाओं की बाजार में उपलब्धता बराबर बनी रहे। बैठक में स्वास्थ्य क्षेत्र के कार्यकर्ता, दवा कम्पनियों के प्रतिनिधि व मेडिकल डिवाइसेज इण्डस्ट्री के लोग शामिल हुए थे। स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत समूह एआईडीएएन ;ऑल इण्डिया ड्रग एक्शन नेटवर्कद्ध ने दवाओं की कीमतों की सीमा निर्धारित करने पर जोर दिया था ताकि दवाएं सभी के लिए वाजिब दाम पर उपलब्ध हो सकें। विशेष तौर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आवश्यक दवाओं की जो सूची बनायी हुई है उसी के हिसाब से देश में आवश्क दवाओं की सूची बनायी जाए, यह मांग भी उठी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस सूची में 460 दवाएं शामिल हैं। दवा कम्पनियों ने दलील दी कि यदि कीमतों को ज्यादा घटाया गया तो आवश्यक दवाओं का उत्पादन प्रभावित होगा, इससे ऐसी दवाओं की आपूर्ति कम हो सकती है। अब जानकारी में आया है कि दवा कम्पनियों ने दवाओं पर ट्रेड मार्जिन 30 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव मान लिया है। इससे लगभग 80 प्रतिशत दवाओं की कीमतों में कमी आने की सम्भावना है। दवा कम्पनियां ड्रग प्राईज कंट्रोल ऑर्डर के दायरे से बाहर रहने वाली दवाओं पर ट्रेड मार्जिन में कमी करेगी। सूत्रों का कहना है कि दवाओं का वार्षिक बाजार एक लाख करोड़ रूपए का है। इसमें नॉन शिडयूल का कारोबार 10 हजार करोड़ रूपए का है।

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