कोडरमा- झारखण्ड राज्य के कोडरमा के डोमचांच प्रखण्ड स्थित फुलवारिया थाना क्षेत्र के एक युवक की मौत झोलाछाप डॉक्टर द्वारा गलत आपरेशन किए जाने से हो गयी। बताया जाता है कि 19 वर्षीय सुधांशु कुमार ने 5 जून 2019 को कोडरमा सदर अस्पताल और फिर निजी डॉक्टर से जांच करायी जिसमें उसके टैस्टिस में कैंसर के लक्षण मिले। बीमारी बड़ी थी- खर्च भी अधिक था। ऐसे में स्थानीय डॉक्टर दयानंद कुमार मेहता ने कम खर्च में जांच कराने की बात कह कर आपरेशन कराने पर सहमत कर निजी क्लीनिक संचालक डॉ. अखिलेश कुमार दिनकर के पास जाने की सलाह दी। 13 जून को उक्त डॉक्टर के बिना जांच किए मरीज का आपरेशन कर दाहिना टेस्टिस निकाल दिया। ऑपरेशन के बद फिर जांच के लिए मरीज का सैम्पल कोलकाता भेजा गया जहां से कैंसर होने की रिपोर्ट मिली। इससे पीड़ित का परिवार परेशान हो गया। ऑपरेशन के बाद पीड़ित युवक का स्वास्थ्य और खराब रहने लगा। डॉ. अखिलेश से सम्पर्क किया गया तो उन्हांने कहा कि रिपोर्ट देने के बाद उनकी जिम्मेदारी नहीं है। आपका स्थानीय डॉक्टर दयानंद ही समझे। इस पर डॉ. दयानंद से लगातार युवक का इलाज कराया जाता रहा। आखिर किसी प्रकार पैसे का जुगाड़ कर परिजनों द्वारा रांची स्थित कृष्णा क्लीनिक में डॉ. पी.एन. सिंह से जांच करायी गयी जहां उन्होंने बताया कि ऑपरेशन गलत किया गया है और युवक का इलाज करने से मना कर दिया। इस पर परिजन युवक को इरबा स्थित कैंसर हॉस्पीटल ले गए, वहां भी डॉक्टर्स ने इलाज करने से मना कर दिया। 18 नवम्बर को मरीज की मौत हो गयी। अब सामाजिक कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा द्वारा इसकी शिकायत मानव अधिकार आयोग में की गयी है। शिकायत में कहा गया है कि झोलाछाप डॉक्टर की सिफारिश पर निजी क्लीनिक संचालक डॉ. अखिलेश ने बिना जांच किए मरीज का ऑपरेशन किया जबकि डॉ. अखिलेश के पास कैंसर के उपचार की विशेषज्ञता नहीं है। ऐसे में डाक्टर पर कार्यवाही होनी चाहिए। झोलाछाप डॉक्टर्स के कारण आए दिन ऐसी घटनाएं होती हैं। कमीशन के चक्कर में झोलाछाप डाक्टर मरीजों को निजी अस्पतालों/क्लीनिकों में भेजते हैं वहां उनका ध्यान नहीं रखा जाता। उन्होंने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। हालांकि राज्य के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से 28 जनवरी 2019 को निर्देश जारी कर झोला छाप डाक्टर्स पर कार्यवाही करने को कहा गया था। यह निर्देश राज्य के सभी सिविल सर्जन को दिए गए थे। इसके लिए टास्क फोर्स गठित कर झोलाछाप के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा गया था। लेकिन इसके बावजूद राज्य में झोलाछाप डॉक्टर तथा इनके इलाज से लोगों की हो रही मौत पर रोक नहीं लग पायी है।