नयी दिल्ली- देश में एण्टी-माइक्रोबियल रजिस्टेन्स से लड़ने के लिए शिडयूल-एच तथा एच-1 में सूचीबद्ध दवाओं की अवैध बिक्री पर सख्त निगरानी रखने के लिए अपने अधिकारियों को सुसज्जित करने के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इण्डिया (डीसीजीआई) ने सभी राज्यों के औषधि नियंत्रकों को निर्देश दिए हैं। डीसीजीआई ने कहा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम-1940 तथा इसके अन्तर्गत बनायी गयी नियमावली की अनुपालनाओं में यह वैधानिक अनिवार्यता है कि खुदरा दवा दुकानें में ऐसी दवाओं की बिक्री रजिस्टर्ड मैडीकल प्रैक्टिशनर्स (आरएमपी) की प्रेस्क्रिप्शन के बिना नहीं की जाए। एण्टी-माइक्रोबिलय रजिस्टेन्स (एएमआर) सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए लगातार बढता हुआ एक गम्भीर खतरा है। मल्टी-ड्रग रजिस्टेन्स बैक्टीरिया के फलाव तथा संक्रमणों का इलाज करने के लिए नयी एण्टी-बायोटिक्स के अभाव ने मानव स्वास्थ्य के लिए गम्भीर खतरा उत्पन्न कर दिया है, इसके प्रबन्धन की तत्काल आवश्यकता है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विभिन्न स्टेक होल्डर्स के साथ परामर्श कर एएमआर पर नैशनल एक्शन प्लान विकसित किया है जिसे आधिकारिक रूप से 19 अप्रैल 2017 को जारी किया गया था। इसके अन्तर्गत मानव स्वास्थ्य, कृषि, खाद्य उत्पादों तथा पर्यावरण में एण्टी-माइक्रोबिलय रजिस्टेन्स एजेन्टों तथा एण्टी बायोटिक के प्रयोग का पता लगाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में समानता बनाने पर विचार करते हुए प्राथमिकताओं तथा उठाए जाने वाले कदमों की योजना का खाका बनाया गया है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तथा देश में एएमआर के विकास को सीमित करने के लिए अपनी जिम्मेदारी के एक हिस्से के रूप में सीडीएससीओ तथा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एण्टी-बायोटिक्स के अमर्यादित प्रयोगों पर नियंत्रण तथा रोक के लिए लगातार नियामकीय कदम उठाए हैं। एण्टी बॉयोटिक औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमावली-1945 के शिडयूलएच तथा एच-1 में सूचीबद्ध है तथा इनकी बिक्री एक आरएमपी की प्रेस्क्रिप्शन के तहत ही की जा सकती है। नियमावली के अन्तर्गत एक अलग शिडयूल एच-1 30 अगस्त 2013 को बनाया गया था जिसमें एण्टी बायोटिक, एण्टी-टी.बी. ड्रग्स तथा कुछ आदी बनाने वाली दवाओं को शामिल किया गया है। शिडयूल एच-1 के अन्तर्गत आने वाली दवाओं की बिक्री पर सख्त नियंत्रण की आश्यकता है। सभी स्टेक होल्डर्स को भेजे एक पत्र में डीसीजीआई ने ऑल इण्डिया आर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एण्ड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) से भी कहा है कि वह ऐसी दवाओं की बिक्री सख्ती से लाईसेंस की शर्तों की अनुपालनाएं करते हुए करने के प्रति अपने सदस्यों को शिक्षित करे। सीडीएससीओ द्वारा उद्योग संगठनों को भेजे गए पत्र के अनुसार फार्मा उद्योग प्रेस्क्रिप्शन वाली दवाओं की बिक्री के प्रति फार्मासिस्टों को निरूत्साहित करने के लिए अपने द्वारा विकसित अपने विपणन नेटवर्क का प्रयोग करें। मरीजों के अच्छे के लिए एण्टी बायोटिक्स के तार्किक प्रयोग के लिए सभी स्टेक-होलडस्र हाथ मिलाएं।