- नए सत्र 2020-21 से नए फार्मेसी कॉलेजों को मान्यता देने पर अगले पांच वर्षों तक रोक
जयपुर- डिप्लोमा इन फार्मेसी ;डी.फार्माद्ध कोर्स उतीर्ण करने वाले विधार्थियों को रिटेल केमिस्ट शॉप से 90 दिन या 500 घण्टे की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है। फार्मेसी कौंसिल ऑफ इण्डिया ;पीसीआईद्ध को ऐसे विधार्थियों को पै्रक्टिकल ट्रेनिंग देने वाले मैडीकल स्टोर्स पर उपस्थिति एवं कार्य अनुभव के बिना ही प्रमाण-पत्र जारी करने की शिकायतें मिलती रही हैं। इस प्रवृति पर लगाम लगाने के लिए फार्मेसी कौंसिल ऑफ इण्डिया ने सदस्यों की 106वीं बैठक में निर्णय लिया है कि अब डिप्लोमा इन फार्मेसी कोर्स उतीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने वाले मैडीकल स्टोर को पी.सी. आई. से अनुमति लेनी होगी। इसके बाद ही वह विद्यार्थियों को ट्रेनिंग दे सकेंगें। पीसीआई से बिना अनुमति प्राप्त किए कोई मैडीकल स्टोर विधार्थी को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का प्रमाण-पत्र जारी करता है तो किसी भी राज्य कौंसिल में फार्मासिस्ट का पंजीकरण नहीं हो सकेगा। फार्मेसी कौंसिल ऑफ इण्डिया की रजिस्ट्रार-कम-सचिव अर्चना मुदगल की ओर से उक्त आशय का सर्कुलर जारी किया गया है। यह नियम देश भर में लागू किया गया है। इसके अलावा पीसीआई ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 से देश में नए फार्मेसी कॉलेजों को मान्यता देने पर अगले पांच वर्षों तक रोक लगा दी है। राजस्थान में प्रत्येक वर्ष मान्यता प्राप्त संस्थानों से 1500 से 2000 विद्यार्थी डी-फार्मा कोर्स उतीर्ण कर निकलते हैं। राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने सत्र 2019-20 के लिए राज्य के 41 संस्थानों को डी/बी/एम फार्मा कोर्स के लिए वार्षिक तथा प्रोविजनल मान्यता दी है। डी-फार्मा में 1974 विद्यार्थियों, बी. फार्मा में 1170 सीटों के लिए मान्यता दी गयी है। इसके अलावा एम. फार्मा ;फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, फार्मास्यूटिक्स, फार्माकोलॉजीद्ध जैसे विषयों में भी 6 से लेकर 15 सीटों पर प्रवेश के लिए मान्यता दी है। आरयूएचएस के डिप्टी रजिस्ट्रार के अनुसार मान्यता की सूचना एआईसीटीई नयी दिल्ली, राज्य व केन्द्र सरकार को भेजी है। राजस्थान फार्मेसी कांसिल में मनोनीत सदस्य नवीन सांघी और फार्मा यूथ वेलफेयर संस्थान के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण कुमार सैन का कहना है कि केन्द्र सरकार की ओर से लिए गए निर्णय से न केवल फर्जी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर रोक लग सकेगी बल्कि विद्यार्थियों द्वारा निर्धारित समयावधि तक प्रशिक्षण लेने से उन्हें दवा वितरण, स्टोरेज का ज्ञान मिल सकेगा और पेशेन्ट कांऊसलिंग से मरीजों को भी लाभ मिलेगा। राजस्थान फार्मेसी कौंसिल के अध्यक्ष डॉ. ईश मुंजाल का कहना है कि डिप्लोमा कोर्स करने वाले विधार्थियों को मैडीकल स्टोर पर गुणवत्तापूर्ण प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मिलने का फायदा न केवल स्वयं फार्मासिस्टों को बल्कि मरीजों को भी मिलेगा।