राजनांदगांव- छत्तीसगढ के राजनांदगांव स्थित इन्दू मैडीकल स्टोर्स के मालिक नरेन्द्र गुप्ता ने एक पत्र लिख कर दवाओं की ऑनलाईन बिक्री के खिलाफ दवा विक्रेताओं के संगठनों से एकजुट होकर शक्ति दिखाने का अनुरोध किया है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि एक तरफ सरकार देश के युवा बरोजगारों को नौकरी/सेवा में जाने के बजाए छोटे-छोटे व्यवसाय कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती है और इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित करने पर करोड़ों रूपए व्यय कर रही है जबकि दूसरी तरफ डीमार्ट तथा दवाओं के ऑनलाईन बिजनेस पर कोई नियंत्रण नहीं लगा रही है।दवा व्यवसाय में खुदरा विक्रेताओं को 10 से 16 प्रतिशत और थोक विक्रेताओं को 8 से 10 प्रतिशत मार्जिन निर्धारित हैं परन्तु दवाओं की ऑनलाईन बिक्री करने वाली कम्पनियां 30 से 40 प्रतिशत कम रेट पर दवाइयां घर-घर पहुंचा रही हैं। सरकार को छोटे व मध्यम दवा व्यवसाइयों को भी इन्ही रेटों पर दवाएं मिलना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि वह भी उपभोक्ताओं को ऑनलाईन के समान रेटों पर दवाएं उपलब्ध करवा सके। देश में जीएसटी इसलिए भी लगाया गया है ताकि वस्तुओं के मूल्यों में देश भर में समानता बनी रहे परन्तु दवाओं के मामले में भारी भिन्नताएं हैं दरअसल ऑनलाईन दवा व्यवसाय में संलग्न पूंजीवादी लोग छोटे-छोटे व्यापारियों की अर्थ व्यवस्था को चौपट कर उन्हें बेरोजगारी की ओर धकेल रहे हैं। देश में 8 से 9 लाख दवा व्यवसायी है। उन पर उनका परिवार तथा वर्कर का स्टाफ आश्रित हैं। सबकी जिन्दगी दांव पर लगी है। क्या फायदा ढेरों कानूनों तथा शासन की ढिलाई का? दवा व्यवसाय से जनता का विश्वास खत्म होता जा रहा है। हमारे मध्य मौजूद कुछ मजबूत लोगों को हमारी बातें समझ में नहीं आ रही हैं। आवश्यकता है दवा विक्रेताओं के संगठन एकजुट हों और अपनी एकता दिखाएं और सरकार को अविलम्ब इस ऑनलाईन दवाओं की बिक्री की समस्या पर ठोस कार्यवाही के लिए विवश करें।