* दवाआें के नाम भी सही उच्चारित नहीं कर पाते-करते हैं बीमारियों का इलाज
* क्लीनिक इस्टब्लिशमैन्ट एक्ट की अनुपालनाओं के प्रति गैर-जिम्मेदारी
जयपुर- राजस्थान में पिछले दिनों एक प्रमुख प्रिन्ट मीडिया के कर्मियों द्वारा राज्य के पांच जिलों में सि्ंटग आपरेशन करते हुए नीम -हकीमों के मकड़जाल का पर्दाफाश किया गया है। उजागर किया गया है कि झोलाछाप किस प्रकार अपनी दुकानों में मरीजों का मनमाना इलाज कर उन्हें जानलेवा दवाएं दे रहे हैं। उजागर किया गया कि बांसवाड़ा के चिड़ियावास थाना क्षेत्र के धनपुरा गांव के कालू पुत्र मंगला को बोरवट कस्बे के एक नीम-हकीम ने जहरीले झाड़ के दूध से भरा इंजेक्शन लगा दिया जिसके कारण उसकी मौत हो गयी। थाने में दर्ज मामले के अनुसार कालू के सिर पर गांठ थी। उसे बोरावट नयी बस्ती के झोलाछाप बारजी पुत्र गोबरिया के पास ले जाया गया। वहां कालू के सिर में जहरीले झाड़ का दूध निकालकर उसका इंजेक्शन लगा दिया। इन्फेक्शन के कारण थोड़ी देर बाद ही कालू की मौत हो गयी। इसी प्रकार उदयपुर के गांव जोरिया के काना राम गमेती की 3 वर्ष की बेटी भाग्यवंती को बुखार होने पर पत्नि मीरा कोटड़ा के देवला गांव में बंगाली डॉक्टर के पास ले गयी। तथाकथित डॉक्टर ने बिना जांच बच्ची को स्टीरॉयड का इंजेक्शन लगाया, बच्ची तड़पने लगी। परिजन उदयपुर में अस्पताल लाए जहां उसने दम तोड़ दिया। सरकारी रिकार्ड के अनुसार प्रत्येक वर्ष राज्य में झोलाछाप नीम-हकीमों के इलाज के कारण 8 हजार लोगों को जान गंवानी पड़ती है। इसके बावजूद इनके खिलाफ आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई, लिहाजा इनकी संख्या बढती चली गयी हैं। इसी सच को उजागर करने के लिए मीडिया कर्मियों ने स्वयं मरीज बनकर एक माह तक इन नीम-हकीमों से दवाइयां खरीदी, जब इन दवाओं का बड़े विशेषज्ञों व स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स से अध्ययन करवाया तो उन्होंने बताया कि जो एण्टी -बॉयोटिक, स्टीरॉयड तथा गर्भ गिराने की दवाएं उन्हें नीम हकीमों द्वारा दी गयी हैं यह मरीजों के लिए बेहद खतरनाक व जानलेवा हैं। गर्भ गिराने की जो दवाएं उन्होंने दी, स्त्री रोग विशेषज्ञ भी ऐसी दवा देने से पहले दसियों बार सोचते हैं। बिना लक्षण देखे स्टीरॉयड- एण्टी बॉयोटिक के इंजेक्शन देने से अधिक खतरनाक क्या होगा। इनके अधिक इस्तेमाल से मरीज की किडनी, लीवर आदि फेल भी हो सकते हैं। यह मरीजों की जिन्दगी से खिलवाड़ है। वरिष्ठ गायनेकॉलॉजिस्ट डॉ. नीलम बापना का कहना है कि गर्भ गिराने की कोई भी दवा 15-20 दिन से ज्यादा समय का गर्भ होने कारगर नहीं है। एक माह से ज्यादा का गर्भ गिराने के लिए यह दवा दी तो आधा गर्भ रह सकता है, बच्चेदानी खराब हो सकती है, ज्यादा ब्लीडिंग होने से जान भी जा सकती है। गायनेकॉलॉजिस्ट सोनोग्राफी देखने के बाद तय करते हैं कि क्या करना है। डी एण्ड सी या अन्य निर्णय डॉक्टर के सुपरविजन में होता है। छोलाछाप यह दवा बिना जांच के बिना सुपरविजन के दे रहे हैं यह महिलाओं की जान के लिए बहुत बड़ा खतरा है। चिकित्सकों का कहना है कि स्टीरॉयड से मांसपेशियां और लाल रक्त कोशिकाएं तेजी से बढती हैं जिससे कोलेस्ट्राल लेवल बढता है। ब्लड वेसल्स की दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल जमा होने से स्ट्रोक का खतरा बढ जाता है। स्टीरॉयड से पीलिया होने, खून की गांठे बनने जैसी दिक्कत हो जाती है। कम उम्र में स्टीरॉयड हड्डियां कमजोर करता है। पुलिस ने छापेमारियां करते हुए दो-तीन दिनों में 302 झोलाछाप नीम-हकीमों को गिरफ्तार किया है परन्तु साक्ष्यों के अभाव में यह शीघ्र रिहा हो जाएंगे और अपना पुराना धन्धा फिर शुरू कर देंगे। राज्य के चिकित्सा मंत्री का कहना है कि प्रदेश में एक भी झोलाछाप नहीं रहेगा। सरकार के पास स्वास्थ्य को लेकर बहुत बड़ा बुनियादि ढांचा है। किसी को झोलाछाप के पास जाने की आवश्यकता नहीं है।