सोलन- सैन्ट्रल ड्रग लैबोरेट्री (सीडीएल) कसौली ने अपनी वेब साईट पर जानकारी दी है कि इस वर्ष 31 अक्टूबर तक 30 वैक्सीनों के सैम्पल फेल हुए हैं। सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में पोलियो उन्मूलन के लिए 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पिलायी जाने वाली पोलियो की बाइवालेन्ट वैक्सीन, के 25 सैम्पल फेल निकले हैं। मेनिंगोकोकल वैक्सीन के दो, टीटी वैक्सीन, टायफायड वैक्सीन तथा रैबीज रोधी वैक्सीन का एक-एक सैम्पल फेल निकला है। इनके सैम्पल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे। पिछले छह वर्षों की तुलना में यह आंकड़ा कई गुणा अधिक है। वर्ष 2018 में कुल 15 सैम्पल फेल निकले थे। अक्टूबर तक इनकी संख्या 30 तक पहुंच गयी है जबकि नवम्बर-दिसम्बर तक यह आंकड़ा और भी बढ सकता है। मेनिंगोकोकल एक बैक्टीरियल संक्रमण हैं। यह ग्रसित मरीज द्वारा छींकने और खांसने से एक दूसरे में फैलता है। बच्चों में इस संक्रमण की मुख्य वजह वैक्टीरियल मेनिनजाइटिस होती है। बच्चों व व्यस्कों को इस रोग से सुरक्षा प्रदान करने के लिए ही मेनिंगोकोकल वैक्सीन दी जाती है। टायफायड भी एक गम्भीर संक्रामक रोग है जो साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया से फैलता है। इसकी भी वैक्सीन का सैम्पल फेल निकाला है। इसी प्रकार कुत्ते, बंदर या अन्य जानवरों के काटने से रैबीज नामक रोग से बचाव के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली एण्टी-रैबीज वैक्सीन का भी एक सैम्पल फेल निकला है। सीडीएल कसौली के निदेशक डॉ. अरूण भारद्वाज ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इसकी विस्तृत जानकारी सीडीएल की वैबसाईट पर उपलब्ध है। वर्ष 2013 में डीपीटी+एचईपीबी+एचआईबी वैक्सीन के 4, एण्टी स्नेक वेनम सिरम का 1 तथा टी.टी./ टिटनैस एण्टी टॉक्सिन का एक सैम्पल, वर्ष 2014 में हेपेटाइटिस-बी का एक, एण्टी स्नेक वेनम सीरम का 1, टीटी वैक्सीन तथा डीपीटी वैक्सीन का एक-एक सैम्पल, वर्ष 2015 में डीपीटी+एचईपी+एचआईबी का एक तथा टीटी वैक्सीन के 3 सैम्पल, वर्ष 2016 में डीपीटी+एचआईपीबी+एचआईबी वैक्सीन व टीटी वैक्सीन के 2-2 सैम्पल, वर्ष 2017 में बीओपीवी का 1, एण्टी स्नेक वेनम सिरम के 5, पेन्टा वेलेन्ट वैक्सीन के 2 तथा टायफायड व टीटी वैक्सीन का एक-एक सैम्पल फेल निकला था जबकि वर्ष 2018 में एण्टी स्नेक वेनम सीरम के 9, टायफाइड के 2, बीओपीवी के 2, टीटी वैक्सीन तथा डिफ्थिरिया एण्टी टॉक्सिन का एक-एक सैम्पल फेल निकला था।