एक-एक लाख रूपए का जुर्माना, तय मानक से अधिक डॉज के इंजेक्शन किए थे सप्लाई
हनुमानगढ़- राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में निर्धारित मानक से अधिक मात्रा शक्ति के इंजेक्शन सप्लाई करने के मामले में दोष सि( होने पर जिला एवं सेशन न्यायाधीश ज्ञान प्रकाश गुप्ता ने पिछले दिनों हरियाणा के करनाल स्थित दवा निर्माता कम्पनी नितिन लाइफ सांईसेज के दो निदेशकों को एक-एक वर्ष के साधारण कारावास की सजा तथा एक-एक लाख रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। मामले के अनुसार 17 दिसम्बर 2012 को औषधि नियंत्रण अधिकारी श्वेता छाबड़ा ने जिला परियोजना समन्वयक एवं नोडल अधिकारी डॉ. प्रीत मोहिन्दर सिंह की उपस्थिति में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा वितरण योजना में मरीजों को वितरित करने के लिए रखी दवा बीटामेथासोन इंजेक्शन का नमूना लिया था। इंजेक्शन की निर्माता कम्पनी नितिन लाइफ सांईसेज लि., औद्यौगिक क्षेत्र, करनाल, हरियाणा है। जांच के लिए नमूने राजकीय औषधि विश्लेषण प्रयोगशाला भिजवाए गए। जांच में पता चला कि इंजेक्शन में घटक त्तव बीटामेथासोन की मात्रा काफी अधिक है। इंजेक्शन के लेबल पर मात्रा का दावा 4 एमजी किया हुआ था जबकि इंजेक्शन में इसकी मात्रा 6.73 एमजी पायी गयी। उक्त प्रकार उक्त दवा मिथ्याछाप/अवमानक पाए जाने पर विभागीय अधिकारियों द्वारा कम्पनी के निदेशकों को आरोपी बनाते हुए न्यायालय में इस्तगासा दायर किया गया था। कम्पनी की ओर से दवा के निर्माण, संग्रहण और विक्रय को लेकर चाही गयी सूचना भी विभाग को उपलब्ध नहीं करवायी गयी। मामले की सुनवाई के बाद आरोप सि( होने पर न्यायालय द्वारा नितिन लाइफ सांइसेज के तकनीकि निदेशक संजीव भुटानी पुत्र आनन्द सागर, निवासी सैक्टर-7 करनाल तथा राजेन्द्र आनन्द पुत्र छराजलाल आनन्द निवासी सैक्टर-3, करनाल को औषधी एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम-1940 की धारा 27 ;डीद्ध का दोषी मानते हुए एक-एक वर्ष के कारावास की सजा तथा एक-एक लाख रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. बृजेश गौड़ ने बताया कि स्टीरॉयड के तय मानक से अधिक लगातार लेने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जिससे ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी हो सकती है। हाईडोज का लगातार इंजेक्शन लेने से शुगर, हाई ब्लड पै्रशर, शरीर में सूजन से वजन बढना, शरीर में पानी तथा नमक की रूकावट और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। फार्माकॉलॉजिस्ट डॉ. अमृतपाल सिंह ने बताया कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से हारमोन्स में गड़बड़ी होने के साथ ही हार्ट, किडनी और लीवर सहित सभी अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि इंजेक्शन में जो साल्ट की ज्यादा मात्रा थी उसका दुष्परिणाम यह भी होता कि रोगी पर बाद में अन्य कम्पनियों की वह दवा असर नहीं करती क्योंकि निर्धारित मात्रा 4 एमजी थी जबकि वास्तविकता में मरीज को 6.73 एमजी मात्रा मिलती। इससे यदि मरीज यही दवा बाद में अन्य कम्पनियों की 4 एमजी मात्रा वाली लेता तो उसका वांछित असर न मिलता, परिणामतः मरीज इसी कम्पनी की दवा खरीदने पर बाध्य हो जाता। सेहत को नुकसान अलग से होता।